किसानों का आंदोलन: संघर्ष, सामूहिकता और विजय की कहानी

भारत में किसानों का आंदोलन केवल एक संघर्ष नहीं था, यह एक क्रांति थी जिसने लाखों लोगों की भावनाओं और अधिकारों को एक नई ताकत दी। इस आंदोलन का आगाज 2020 में हुआ, जब केंद्र सरकार ने तीन विवादास्पद कृषि कानून लागू किए। इन कानूनों ने किसानों को भयभीत कर दिया कि उनकी आजीविका और जमीन पर खतरा मंडरा रहा है। यह लेख 3000 शब्दों में इस आंदोलन की पूरी गाथा को समेटता है।


आंदोलन की पृष्ठभूमि: कृषि कानूनों का प्रभाव

सितंबर 2020 में केंद्र सरकार ने तीन कृषि कानून पास किए:

  1. कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) अधिनियम 2020
  2. कृषक (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार अधिनियम 2020
  3. आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम 2020

किसानों को डर था कि ये कानून उन्हें कॉर्पोरेट कंपनियों के हाथों गुलाम बना देंगे। न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और मंडी व्यवस्था समाप्त होने का भय किसानों को सड़कों पर ले आया।


दिल्ली चलो: आंदोलन का आरंभ

नवंबर 2020 में, पंजाब और हरियाणा के किसानों ने ‘दिल्ली चलो’ का आह्वान किया। लाखों किसान ट्रैक्टर-ट्रॉलियों में भरकर दिल्ली की ओर बढ़े। सिंघु, टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों ने मोर्चा संभाल लिया।

दिल्ली की सीमाओं पर संघर्ष:

  • किसानों और सुरक्षाबलों के बीच झड़पें हुईं।
  • पुलिस ने पानी की बौछारें और आंसू गैस का इस्तेमाल किया।
  • किसान पूरी तैयारी के साथ आए थे: उनके पास राशन, बिस्तर, और हर रोज़ की जरूरतें थीं।

आंदोलन के मुख्य मुद्दे

  1. एमएसपी की कानूनी गारंटी: किसानों की सबसे बड़ी मांग यह थी कि फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी दी जाए।
  2. कानूनों की वापसी: तीनों कृषि कानून रद्द किए जाएं।
  3. कृषि सुधार: किसानों ने सरकार से कृषि क्षेत्र में सुधार की मांग की।

आंदोलन का विस्तार और एकजुटता

किसानों का आंदोलन केवल पंजाब और हरियाणा तक सीमित नहीं रहा। उत्तर प्रदेश, राजस्थान, और अन्य राज्यों के किसान भी इसमें शामिल हुए। यहां तक कि विदेशों में रहने वाले भारतीयों ने भी इसका समर्थन किया।

महिला शक्ति:
महिलाओं ने इस आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। उन्होंने विरोध-स्थलों पर भोजन पकाया, भाषण दिए, और मोर्चा संभाला।

संयुक्त किसान मोर्चा (SKM):
यह संगठन आंदोलन का मुख्य नेतृत्व बन गया। SKM ने आंदोलनों की रणनीति तैयार की और सरकार से बातचीत की।


सरकार और किसानों के बीच बातचीत

केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच 11 दौर की बातचीत हुई। सरकार ने कुछ बदलावों की पेशकश की, लेकिन किसानों ने कानून रद्द करने की मांग पर अडिग रहे।

प्रधानमंत्री का बयान:
नवंबर 2021 में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की कि तीनों कृषि कानून रद्द कर दिए जाएंगे। यह किसानों की एक बड़ी जीत थी।


आंदोलन के दौरान महत्वपूर्ण घटनाएं

  1. 26 जनवरी 2021: ट्रैक्टर रैली
  • किसानों ने गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में ट्रैक्टर रैली निकाली।
  • लाल किले पर हुई घटना ने आंदोलन को विवादों में डाल दिया।
  1. जन समर्थन और विरोध:
  • इस आंदोलन को देशभर से समर्थन मिला।
  • कई बॉलीवुड कलाकारों और अंतर्राष्ट्रीय हस्तियों ने भी किसानों का समर्थन किया।
  1. शहीद किसान:
  • आंदोलन के दौरान 700 से अधिक किसानों की मौत हुई।

आंदोलन की जीत और प्रभाव

नवंबर 2021 में कानूनों की वापसी के बाद, किसानों ने प्रदर्शन समाप्त कर दिया। यह आंदोलन न केवल किसानों की जीत थी, बल्कि लोकतंत्र और जन अधिकारों की एक बड़ी मिसाल भी बना।

आगे की चुनौतियां:
हालांकि कानून रद्द हो गए, लेकिन एमएसपी की कानूनी गारंटी और अन्य मांगें अभी भी पूरी नहीं हुई हैं।


निष्कर्ष: संघर्ष की विरासत

किसानों का आंदोलन दिखाता है कि जब लोग एकजुट होते हैं, तो वे किसी भी शक्ति के खिलाफ खड़े हो सकते हैं। यह भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में एक अद्वितीय अध्याय के रूप में याद किया जाएगा।

“जय जवान, जय किसान” का नारा इस आंदोलन की आत्मा को दर्शाता है।

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